नींद तू इतना भाती क्यूँ हैं
जब भी कुछ जरूरी हो करना
तो मुझे सुलाती क्यूँ है
कौन भला तुझसे है सुन्दर
पृथ्वीराज ने किया था blunder
तुझसे ही वोह प्रेम जो करता
तो
संयुक्ता पे न मरता
सुख से बूढा वोह हो जाता
आराम से अपनी pension पाता
जीवन को मैं जान गया हूँ
सर्वोपरि तुझे मान गया हूँ
स्वर्ग
की तू सैर कराये
अगर कोई न मुझे उठाये
Free में तू दुनिया घुमाती क्यूँ है
नींद तू इतना भाती क्यूँ हैं
जब भी कुछ जरूरी हो करना
तो मुझे सुलाती क्यूँ है