खुशनसीब
हूँ मैं की तुम मेरे साथ हो
एक
अनकहा सा अनछुआ सा
कभी
न मिटने वाला एक एह्साह हो
मेरी
हर कमजोरी को समझा है तुमने
बिना
सोचे बिना समझे
मुझे
सही माना है तुमने
मेरी
हर हद को बर्दाश्त करती रही तुम
बिना
लिए बिना मांगे
बेईम्तेहा
प्यार देती रही तुम
समेटती
रही मेरे टुकडो को
जोड़ती
रही खुद टूटती रही
समझती
रही मेरी नासमझियों को
अक्सर
सोचता हूँ मैं
तुम
न होती साथ तो
आज
कहाँ होता मैं
मेरे
नखरे मेरा गुस्सा मेरी गलतियां सही
कभी
नहीं पूछा क्या था मेरा हक
मेरे
बेफ्कूफिना मेरी नादानिया मेरी शैतानियां सही
शिकवा
गिला बंदिशों से अनजान बनी
जानते
हुए मेरी खामियों को
मेरी
सबसे बड़ी पहचान बनी
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